Inspirational Hindi Story Collection, Hindi Story or Story Collection Hindi stories are a genre that resolves a complex understanding of life, situations and oneself. Hindi story brings our personality in front of us like a mirror,
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प्रेरणादायक हिंदी कहानी संग्रह, हिंदी कहानी या कहानी संग्रह हिंदी कहानियाँ एक ऐसी शैली है जो जीवन, स्थितियों और स्वयं की एक जटिल समझ को हल करती है। हिंदी कहानी हमारे व्यक्तित्व को एक दर्पण की तरह हमारे सामने लाती है,
Hindi kahani- चुरकी मुरकी
best interesting Hindi kahani for kids.

Hindi kahani
चुरकी जब अपने भाई के गांव गई तो भाई ने ही नहीं, राह में मिलने वाले पेड़, जानवर यहां तक कि टीले ने भी इतना कुछ दिया कि वह धनवान हो गई। यह देखकर मुरकी भी लालच में अपने भाई के यहां गई लेकिन उसे ऐसा कुछ न मिला, जो वह खुश होती, उल्टे उसको रास्ते में मुसीबतों का सामना करना पड़ा। आखिर दोनों बहनों में ऐसी कौन-सी बात थी, जो एक को इतनी ढेर सारी चीजें मिली और दूसरी को मुसीबतें हाथ लगी।
किसी गांव में दो बहनें रहती थीं। एक का नाम था चुरकी और दुसरी का नाम था मुरकी। बड़ी बहन चुरकी सीधी-सादी और दयालु थी, लेकिन छोटी बहन मुरकी लड़ाकू और घमंडी स्वभाव की थी। उनका एक भाई भी था, जो दूसरे गांव में रहता था। एक बार चुरकी की इच्छा अपने भाई से मिलने की हुई तो उसने अपने बच्चों को अपनी छोटी बहन मुरकी के पास छोड़
दिया और भाई के घर चल पड़ी। भाई का गांव पास में ही था। इसलिए वह अकेली पैदल ही रवाना हो गई। रास्ते में उसे एक बेर का पेड़ मिला। पेड़ ने चुरकी से कहा, 'बहन तुम कहां जा रही हो?' चुरकी बोली, "मैं अपने भाई से मिलने जा रही हूं।' बेर का पेड़ बोला, 'मेरा एक काम कर दो। मेरे नीचे की जमीन साफ करके उसे
लीप-पोत दो। जब तुम लौटकर आओगी तब मैं मीठे-मीठे बेर टपका दूंगा। तुम उन्हें अपने बच्चों के लिए ले जाना।' चुरकी नरम और सेवाभाव वाली थी। उसने पेड़ की बात मान ली। पेड़ के नीचे फैले कांटों को हटाकर सफाई कर दी। उसे पास ही गाय का गोबर भी मिल गया, उससे लीप-पोत दिया। थोड़ा आगे बढ़ने पर उसे एक गोशाला मिली।
Best motivational hindi kahani
वहां पर सुंदर गाएं बंधी हुई थीं। गायों ने उससे कहा, 'बेटी, तुम हमारी जगह साफ कर दो। आते वक्त बर्तन ले आना। हम तुम्हें खूब सारा दूध देंगे।' चुरकी ने गायों का कहा भी कर दिया। गौशाला की फटाफट सफाई कर दी और भाई के घर की ओर चल पड़ी। आगे चलने पर उसे एक मिट्टी का टीला मिला। टीले के अंदर से आवाज आई, 'क्यों बेटी तुम कहां जा रही हो?'
चुरकी चौंक कर इधर-उधर देखने लगी। उसे कौन आवाज दे रहा है, वह सोचने लगी। टीला बोला, 'अरे डरो मत, मैं टीला बोल रहा हूं। मेरा एक काम कर दो। मेरे ऊपर की साफ-सफाई कर दो। लौटते वक्त मैं तुम्हारी मजदूरी चुका दूंगा।' चुरकी को देर तो हो रही थी, लेकिन फिर भी उसे टीले पर दया आ गई, उसने वहां की भी साफ-सफाई कर दी।
फिर वह अपने भाई के गांव जा पहुंची। भाई खेत पर बैठा मिल गया। भाई-बहन बड़े प्रेम से मिले और बातचीत की। भाई ने उसे अच्छी-अच्छी खाने की चीजें खिलाईं। जब वह भाभी से मिलने घर पहुंची तो भाभी ने भी उसका स्वागत किया। बातों के साथ चुरकी अपनी भाभी के साथ मिलकर काम करती रही।
एक रात रुककर दूसरे दिन चरकी अपने घर लौट पड़ी। भाई-भाभी ने उसे चने का साग और बच्चों के लिए मिठाई दी। चरकी ने एक खाली टोकरी और एक बर्तन भी अपने साथ रख लिया। भाई- भाभी ने उसे बड़े प्रेम से विदा किया। रास्ते में उसे मिट्टी का टीला मिला। टीले में से आवाज आई- 'बेटी अपना मेहनताना तो लेती जाओ।
Best inspirational hindi kahani
चुरकी ने टीले की ओर देखा तो वो चौंक गई। टीले के ऊपर सोने की मोहरों का ढेर लगा हुआ था। उसने टोकरी में सोने की मोहरें रखीं और उन्हें साग से ढंक दिया। आगे चलने पर उसे वही गौशाला मिली। उसने गाय का दूध बरतन में निकाल लिया और चल पड़ी। रास्ते में बेर के पेड़ से मीठे पके बेर जमीन पर गिरे मिले, उसे समेट कर उसने टोकरी में रख लिया और अपने घर आ गई।

Hindi kahani
मुरकी ने जब चुरकी के पास इतना लौटते वक्त मुरकी को जंगल में सांप मिले। भागती हुई वह गौशाला में घुस गई तो वहां गाय उसे मारने के लिए दौड़ी। वहां से जान बचाते हुए मुरकी बेर के पेड़ के नीचे पहुंची तो वहां जमीन पर पड़े हुए कांटों से उसके पैर बुरी तरह से छिल गए। सारा सामान देखा तो उसने सोचा कि जरूर भइया-भाभी ने इसे दिया होगा। उसके मन में भी लालच आ गया। दूसरे दिन वह भी अपने भाई से मिलने चल पड़ी।
रास्ते में उसे वही बेर का पेड़ मिला, वही गौशाला और टीला मिला। सबने उससे भी मदद मांगी लेकिन उसने किसी की बात नहीं सुनी और तुनक कर बोली, 'अरे! मैं कोई चुरकी नहीं हूं, मैं तो मुरकी हूं। काम करूंगी तो हाथों में छाले नहीं पड़ जाएंगे।' मुरकी को तो अपने घर
पहुंचने की जल्दी थी ताकि उसे भी भाई के यहां से चीजें मिल सकें।
मुरकी ने किसी की मदद नहीं की, सीधे अपने भाई के घर जा पहुंची। गांव पहुंचने पर भाई-भाभी उससे बड़े प्रेम से मिले। भाभी अकेली ही घर का काम करती रहीं। उन्होंने उसे बहुत रोका पर वो एक रात रुककर अगले दिन घर लौटने लगी तो भाई-भाभी ने बच्चों के लिए मिठाई और चने का साग दिया। यह देखकर मुरकी को बहुत बुरा लगा कि भइया ने चुरकी को ढेर-सा सामान देकर भेजा पर मुझे तो केवल साग ही दिया।
Best interesting hindi kahani
बेमन से उसने एक टोकरी में नीचे मिठाई रखी, उसके ऊपर पत्ते बिछा कर ऊपर साग रख लिया और चुपचाप अपने घर के लिए रवाना हो गई। लौटते वक्त उसे जंगल में सांप मिले। भागती हुई वह गौशाला में घुस गई तो वहां गाय उसे मारने के लिए दौड़ी। वहां से जान बचाते हुए मुरकी बेर के पेड़ के नीचे पहुंची तो वहां जमीन पर पड़े हुए कांटों से उसके पैर बुरी तरह से छिल गए।
आगे पहुंचने पर जोर की आंधी आई। मिट्टी के टीले से बहुत-सी मिट्टी उड़ कर उसकी आंखों में आ गई और टोकरी में रखे साग पर भी भर गई। किसी तरह रोती हुई परेशान होकर मुरकी अपने गांव में चुरकी के घर पहुंची।
चरकी को उसकी हालत देखकर बहुत दुख हुआ। उसने मुरकी से पूछा, 'अरे बहन! तुम्हारी ऐसी हालत कैसे हो गई?' मुरकी ने सारी बातें बता दी।
चुरकी ने मुरकी को समझाया कि उसकी यह हालत लालच, घमंड और बुरे स्वभाव के कारण हुई है। मुरकी ने कहा, 'सच आज मुझे अपनी गलती का पता चला है।' मुरकी ने चुरकी से अपनी गलती के लिए माफी मांगी। इसके बाद मुरकी के स्वभाव में बदलाव आ गया। वह भी चरकी की तरह विनम्र और सबकी चहेती बन गई। सब उसे भी प्यार करने लगे।
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किसी गांव में दो बहनें रहती थीं। एक का नाम था चुरकी और दुसरी का नाम था मुरकी। बड़ी बहन चुरकी सीधी-सादी और दयालु थी, लेकिन छोटी बहन मुरकी लड़ाकू और घमंडी स्वभाव की थी। उनका एक भाई भी था, जो दूसरे गांव में रहता था। एक बार चुरकी की इच्छा अपने भाई से मिलने की हुई तो उसने अपने बच्चों को अपनी छोटी बहन मुरकी के पास छोड़
दिया और भाई के घर चल पड़ी। भाई का गांव पास में ही था। इसलिए वह अकेली पैदल ही रवाना हो गई। रास्ते में उसे एक बेर का पेड़ मिला। पेड़ ने चुरकी से कहा, 'बहन तुम कहां जा रही हो?' चुरकी बोली, "मैं अपने भाई से मिलने जा रही हूं।' बेर का पेड़ बोला, 'मेरा एक काम कर दो। मेरे नीचे की जमीन साफ करके उसे
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चुरकी ने मुरकी को समझाया कि उसकी यह हालत लालच, घमंड और बुरे स्वभाव के कारण हुई है। मुरकी ने कहा, 'सच आज मुझे अपनी गलती का पता चला है।' मुरकी ने चुरकी से अपनी गलती के लिए माफी मांगी। इसके बाद मुरकी के स्वभाव में बदलाव आ गया। वह भी चरकी की तरह विनम्र और सबकी चहेती बन गई। सब उसे भी प्यार करने लगे।
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हेलो दोस्तों यदि आपको या hindi kahani चुरकी मुरकी कहानी यदि पसंद आई है तो प्लीज कमेंट में बताएं। कि आपको कैसी लगी और यदि आपको अच्छी लगी तो अपने दोस्तों और फैमिली वालों के साथ इस पोस्ट को शेयर। करें और इसी प्रकार की inspirational story पढ़ने के लिए आप मुझे फॉलो भी कर सकते हैं धन्यवाद।
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