Hindi kahani- परख
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ज्ञान में कितनी शक्ति है और इसकी परख का तरीका मुझे बाबूजी से सीखने को मिला था, जिसके लिए हमारी गृहस्थी उनके समक्ष सदा नत रहेगी।
घर में कुछ दिनों से बहुत हलचल मची हुई है। सभी लोग लॉकडाउन खुलने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, क्योंकि बेटे के लिए रिश्ता आया है। मेरी पत्नी मेरी बिटिया सभी बहुत उत्सुक हैं लड़की देखने जाने के लिए। रोज नए-नए प्लान बनाए जा रहे हैं
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जिसमें मुख्य विषय सवालों को लेकर रहता है, कि लड़की से क्या-क्या सवाल पूछेगे। उसे बुरा भी ना लगे और हम उसे जान भी जाएं कि हमारे मिजाज मिलेंगे कि नहीं। मैं चुपचाप सबके विचार सुनते रहता हूं।
हौले-हौले अपने ज़माने को याद करते-करते मुझे याद आया कि मेरी नौजवानी के दिनों में मेरे लिए भी रिश्ते आए थे। ग़नीमत थी कि मेरे बाबूजी पुराने ख़्याल के नहीं थे वरना हमारे समाज में तो लड़का लड़की शादी के बाद ही एक-दूसरे को देख पाते।
एक शाम बाबूजी ने कहा कि तैयार हो जाओ हमें शहर चलना है लड़की देखने के लिए। अजब सी हलचल हुई दिमाग़ में, समझ में नहीं आया कि वहां जाकर क्या करूंगा, कैसे बात करूंगा, क्या सवाल पूछूगा और कहीं उसने ही कुछ पूछ लिया तो कैसे जवाब दूंगा?
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फिर मैंने बाबूजी से ही पूछा कि मै वहां क्या बात करूंगा। अनुभवी बाबूजी मेरे मन के हालत समझ गए। मुस्कुराते हुए बोले 'तुम तो बस लड़की को देख-भर लेना कि तुम लोगों की जोड़ी जंचेगी कि नहीं बाकी बात मैं कर लूंगा।' खैर साहब, हमारा सफर शुरू हुआ।
हम दो-तीन लड़की वालों के घर गए। खाना खाते- खाते मैंने नीची नजरों से ही लड़की को देखता और चुपचाप बुजुर्गों की आपस की बातें सुनता रहता, उनकी राजनीति की, व्यापार की बातो में कोई रस नहीं आ रहा था।
मैं सोच रहा था कि बाबूजी लड़की से ढेर सारे सवाल पूछेगे। उसकी शिक्षा, घर के काम-काज की जानकारी लेंगे। मगर बाबूजी तो कुछ कहते ही नहीं थे। उन्होंने एक काम हर घर में किया।
लड़की को बुला कर बहुत स्नेह से पूछते 'बेटी कल का अख़बार रखा है तो लेकर आओ।' कुछ ने कहा हम तो अख़बार मंगाते ही नहीं, कुछ ने कहा कल का तो है नहीं आज का मिल जाएगा, और कहीं लड़की ले कर आती थी।
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तो चश्मा न होने का बहाना कर के उसी को कह देते थे कि जरा राशिफल पढ़ कर बताओ। मै बड़ा हैरान होता रहा कि बाबूजी ये क्या कर रहे हैं। किसी से भी कुछ पूछ नहीं रहे, सभी जगह 'घर पहुंचकर बताएंगे' कह कर उठ जाते थे।
घर वापस आ कर मैंने बाबूजी से पूछा 'बाबूजी आपने बड़ा अजीब व्यवहार किया। एक तो सभी से पुराना अख़बार मंगाया, और चश्मा जेब में होते हुए भी उन्हीं को पढ़ने को कहा। आपने ऐसा क्यों किया?' बाबूजी मुस्कुराते हुए बोले 'इस एक काम से मैंने लड़की के बारे में पांच बड़े महत्व की बातें जान लीं।
'मैने हैरानी से पूछा 'वो क्या?' बाबूजी बोले पहली बात ये कि जिनके घरो में अख़बार आता है वो देश-दुनिया के प्रति जागरूक लोग हैं। दूसरी बात ये कि जिन घरों में पुराना अख़बार भी संभाल कर रखा जाता है मतलब उनके घर में जानकारियां, ज्ञान, पुरानी चीजों की कद्र की जाती है।
और लड़की ने फट से बताया हुआ पन्ना खोल लिया मतलब वो ख़ुद भी अख़बार पढ़ती है यानी पढ़ी-लिखी है। उसके उच्चारण से भाषा के प्रति समझ का भी पता चल गया और उसके सब्र का भी।' मै हतप्रभ हो कर बाबूजी को देखता रह गया और वो खड़े मंद-मंद मुस्कुराते रहे।
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